- GOI ने ‘नवोन्मेषकों’ को ‘समान हिस्सेदारी के आधार’ पर ‘मील का पत्थर-वार भुगतान’ के प्रावधान के साथ ₹ 1.5 करोड़ तक का अनुदान देने की घोषणा की है।
- ‘समस्या बयान कथन’ से लेकर ‘प्रोटोटाइप (आद्यरूप) के विकास’ तक की पूरी प्रक्रिया ‘निर्धारित समय सीमा’ के साथ ऑनलाइन की गई है ताकि पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा सके;
- रेलवे में ‘आद्यरूपों के परीक्षण’ पर ध्यान दिया जाएगा;
- ‘आद्यरूपों के सफल प्रदर्शन’ पर ‘परिनियोजन को बढ़ाने’ के लिए ‘अधिक धनराशि’ प्रदान की जाएगी;
- ‘अन्वेषकों’ का चयन एक ‘पारदर्शी और निष्पक्ष प्रणाली’ द्वारा किया जाएगा, जिसे एक ‘ऑनलाइन पोर्टल’ के माध्यम से निपटाया जाएगा;
- विकसित ‘बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)’ केवल अन्वेषकों के पास ही रहेंगे।
विलम्ब से बचने के लिए संभागीय स्तर पर पूर्ण उत्पाद विकास प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण किया जायेगा।
मुद्दे
- मई 2022 के महीने में, ‘क्षेत्र इकाइयों’ को ‘समस्या क्षेत्र’ प्रदान करने के लिए कहा गया था।
- इसके प्रत्युत्तर में अब तक लगभग 160 समस्या विवरण प्राप्त हो चुके हैं।
- प्रारंभ में, ‘नई नवाचार नीति’ के माध्यम से निपटने के लिए ’11 समस्याओं के विवरणों’ की पहचान की गई है और पोर्टल पर भी कर दिया अपलोड किया गया है:
- ब्रोकन रेल खोज प्रणाली ;
रेल तनाव निगरानी प्रणाली;
- ‘इंडियन रेलवे नेशनल एटीपी सिस्टम’ के साथ ‘ ‘अंतर-संचालित उपनगरीय खंड’ के लिए ‘हेडवे सुधार प्रणाली’
- ‘ट्रैक निरीक्षण गतिविधियों’ का स्वचालन;
- ‘भारी ढुलाई वाले माल वैगनों’ के लिए ‘उच्च इलास्टोमेरिक पैड (ईएम पैड)’ का डिजाइन;
- ‘3-फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के ट्रैक्शन मोटर्स’ के लिए ‘ऑन लाइन स्थिति निगरानी प्रणाली’ का विकास;
- नमक जैसी ‘वस्तुओं के परिवहन’ के लिए ‘हल्के वैगन’ विकसित करना;
- ‘यात्री सेवाओं’ में सुधार के लिए ‘डिजिटल डेटा’ का उपयोग करके ‘विश्लेषणात्मक उपकरणों’ का विकास;
- ट्रैक की सफाई करने वाली मशीन/उपकरण लगाना;
- ‘प्रशिक्षण के बाद के संशोधन और स्वयं-सेवा पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों’ के लिए ऐप; पुल निरीक्षण के लिए ‘रिमोट सेंसिंग, जियोमैटिक्स और GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली)’ का उपयोग
अपेक्षित लाभ
- यह नीति ‘एक बहुत बड़े और अप्रयुक्त स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की भागीदारी’ के माध्यम से ‘संचालन, रखरखाव और बुनियादी ढांचे के निर्माण’ के क्षेत्र में ‘विस्तार और दक्षता’ लाएगी;
- इसका उद्देश्य भारतीय रेलवे की ‘परिचालन दक्षता और सुरक्षा’ में सुधार के लिए ‘भारतीय स्टार्टअप्स/ MSMEs/नवोन्मेषकों/उद्यमियों’ द्वारा विकसित ‘नवोन्मेषी तकनीकों का लाभ उठाना’ है;
यह रेलवे क्षेत्र में सह-निर्माण और सह-नवाचार के लिए देश में ‘नवाचार संस्कृति’ को बढ़ावा देगा।