बजट 2022: कृषि के लिए महत्वपूर्ण उपाय
प्रस्तावना:-
a) हाल ही में प्रस्तुत बजट में कृषि के उच्च मूल्य वर्द्धन और फसल विविधीकरणसे संबद्ध गतिविधियों पर अत्यधिक जोर दिया गया है।
b) पशुधन क्षेत्र8.15 प्रतिशत की सी.ए.जी.आर(चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से वृद्धि कर रहा है।
c) पशुपालन और डेयरी विभाग के लिए बजटीय आवंटन 3198.84 करोड़ रूपये है। जिसमेंपिछले वर्ष की तुलना में 44.40 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।
d) मत्स्य विभाग के लिए बजट में 2,118.47 करोड़ रूपये का बजटीय आंवटन किया गयाहै। जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि कोदर्शाता है। इसके साथ ही कृषि और किसान कल्याण विभाग को 1,24,000 करोड़ रूपये काधन आंवटित किया गया है।
a) हाल ही में प्रस्तुत बजट में कृषि के उच्च मूल्य वर्द्धन और फसल विविधीकरणसे संबद्ध गतिविधियों पर अत्यधिक जोर दिया गया है।
b) पशुधन क्षेत्र8.15 प्रतिशत की सी.ए.जी.आर(चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से वृद्धि कर रहा है।
c) पशुपालन और डेयरी विभाग के लिए बजटीय आवंटन 3198.84 करोड़ रूपये है। जिसमेंपिछले वर्ष की तुलना में 44.40 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।
d) मत्स्य विभाग के लिए बजट में 2,118.47 करोड़ रूपये का बजटीय आंवटन किया गयाहै। जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि कोदर्शाता है। इसके साथ ही कृषि और किसान कल्याण विभाग को 1,24,000 करोड़ रूपये काधन आंवटित किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य :-
a) आत्मानिर्भर से अमृत काल :- बजट 2022 आत्मनिर्भर भारत के, विकास के प्रतिइच्छाशक्ति को बनाए रखने तथा मजबूत करने का प्रयास करता है। सरकार अपने बजट कोअमृत काल के खाके के रूप में पेश करती है, जो भविष्योन्मुखी और समावेशी आर्थिकविकास पर टिका है। इस लक्ष्य को मूर्तरूप देने वाली चार प्राथमिकताओं में से 'समावेशीविकास' एक है.
b) सकारात्मक स्पिलओवर (छलकना) प्रभाव: कृषि क्षेत्र में वृद्धि का सर्वाधिक सकारात्मकप्रभाव गरीबी को कम करने में पड़ता है।
a) आत्मानिर्भर से अमृत काल :- बजट 2022 आत्मनिर्भर भारत के, विकास के प्रतिइच्छाशक्ति को बनाए रखने तथा मजबूत करने का प्रयास करता है। सरकार अपने बजट कोअमृत काल के खाके के रूप में पेश करती है, जो भविष्योन्मुखी और समावेशी आर्थिकविकास पर टिका है। इस लक्ष्य को मूर्तरूप देने वाली चार प्राथमिकताओं में से 'समावेशीविकास' एक है.
b) सकारात्मक स्पिलओवर (छलकना) प्रभाव: कृषि क्षेत्र में वृद्धि का सर्वाधिक सकारात्मकप्रभाव गरीबी को कम करने में पड़ता है।
बजट में भारत की कृषि की निम्नलिखित आवश्यकताओं को रेखांकित किया गया है :-
बजट इस विषय पर जोर देता है कि कृषि क्षेत्र के अंतर्गत केवल कृषि मंत्रालयकी योजनाओं का ही नही बल्कि कृषि क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मंत्रालयों/ विभागोंद्वारा आवंटन और कार्यक्रमोंका मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
बजट में कृषि के लिए उपाय :
a) फसल विविधीकरण :-बजट में कम उगाई जाने वाली फसलों जैसे-तिलहन औरमोटे अनाज पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है।
i) भारत वार्षिक रूप से 70,000 करोड़ रुपये के खाद्य तेल का आयात करता रहाहैI
ii) घरेलू तिलहन और ताड़ जैसे अन्य स्रोतों को प्रोत्साहित कर भारत खाद्यतेल के उत्पादन में आयात निर्भरता को कम कर सकता है। iii) मोटा अनाज उच्च पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है।
b) समृद्धि के लिए दालें :-दलहन भी जलवायु परिवर्तन प्रतिरोधी फसलहैं, जो पोषण के साथ ही जलवायु नियंत्रण कार्यवाही में भारत के प्रयासों कोमजबूती से आगे बढ़ाती है।
i) मोटे अनाज और दलहन फसल कटाई के बाद मूल्यवर्धन करने, घरेलू खपत बढ़ानेऔर आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकरण के लिए प्रयुक्त होंगी। ii) इन फसलों के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए ‘फसल विविधीकरण’ कोबढ़ावा देना स्मार्ट कृषि का अभिन्न अंग है।
c) जलवायु स्मार्ट कृषि :बजट में स्मार्ट कृषि के लिए डिजिटल तकनीक कोउत्पादन तकनीक के पूरक के रूप में आगे बढ़ाया गया है।
i) डिजिटल तकनीक के अंतर्गत ‘किसान ड्रोन’सहित मूल्य श्रृंखला के विभिन्नमुद्दों को शामिल किया गया है।
ii) इनमें उत्पादन योजना, संसाधन उपयोग दक्षता, मानसून और बाजार से उत्पन्नहोने वाले जोखिमों को शामिल किया गया है।
iii) भूमि अभिलेखों का डिजिटाइजेशन और डिजिटल हाई-टेक सेवायें प्रदान करनेका लक्ष्य रखा गया है। d) किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) क्रांति :- i) एफपीओ द्वारा कृषि-उत्पादों के एकत्रीकरण से विपणन योग्य अधिशेष कीमात्रा बढ़ाकर बेहतर मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
ii) नाबार्ड के माध्यम से सह-निवेश (को-इन्वेस्टमेंट) मॉडल के तहत जुटाईजाने वाली मिश्रित पूंजी, बजटीय आवंटन को मजबूती प्रदान करगी।
e) कृषि और ग्रामीण उद्यमिता :-कृषि उपजमूल्य श्रृंखला से जुड़े कृषि और ग्रामीण उद्यमशीलता स्टार्ट-अप के वित्तपोषणका स्पिन-ऑफ प्रभाव, कृषि के पदचिह्नों को द्वितीयक कृषि में विस्तारित करेगा।
a) फसल विविधीकरण :-बजट में कम उगाई जाने वाली फसलों जैसे-तिलहन औरमोटे अनाज पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है।
i) भारत वार्षिक रूप से 70,000 करोड़ रुपये के खाद्य तेल का आयात करता रहाहैI
ii) घरेलू तिलहन और ताड़ जैसे अन्य स्रोतों को प्रोत्साहित कर भारत खाद्यतेल के उत्पादन में आयात निर्भरता को कम कर सकता है। iii) मोटा अनाज उच्च पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है।
b) समृद्धि के लिए दालें :-दलहन भी जलवायु परिवर्तन प्रतिरोधी फसलहैं, जो पोषण के साथ ही जलवायु नियंत्रण कार्यवाही में भारत के प्रयासों कोमजबूती से आगे बढ़ाती है।
i) मोटे अनाज और दलहन फसल कटाई के बाद मूल्यवर्धन करने, घरेलू खपत बढ़ानेऔर आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकरण के लिए प्रयुक्त होंगी। ii) इन फसलों के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए ‘फसल विविधीकरण’ कोबढ़ावा देना स्मार्ट कृषि का अभिन्न अंग है।
c) जलवायु स्मार्ट कृषि :बजट में स्मार्ट कृषि के लिए डिजिटल तकनीक कोउत्पादन तकनीक के पूरक के रूप में आगे बढ़ाया गया है।
i) डिजिटल तकनीक के अंतर्गत ‘किसान ड्रोन’सहित मूल्य श्रृंखला के विभिन्नमुद्दों को शामिल किया गया है।
ii) इनमें उत्पादन योजना, संसाधन उपयोग दक्षता, मानसून और बाजार से उत्पन्नहोने वाले जोखिमों को शामिल किया गया है।
iii) भूमि अभिलेखों का डिजिटाइजेशन और डिजिटल हाई-टेक सेवायें प्रदान करनेका लक्ष्य रखा गया है। d) किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) क्रांति :- i) एफपीओ द्वारा कृषि-उत्पादों के एकत्रीकरण से विपणन योग्य अधिशेष कीमात्रा बढ़ाकर बेहतर मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।
ii) नाबार्ड के माध्यम से सह-निवेश (को-इन्वेस्टमेंट) मॉडल के तहत जुटाईजाने वाली मिश्रित पूंजी, बजटीय आवंटन को मजबूती प्रदान करगी।
e) कृषि और ग्रामीण उद्यमिता :-कृषि उपजमूल्य श्रृंखला से जुड़े कृषि और ग्रामीण उद्यमशीलता स्टार्ट-अप के वित्तपोषणका स्पिन-ऑफ प्रभाव, कृषि के पदचिह्नों को द्वितीयक कृषि में विस्तारित करेगा।
बजट में सुझाए गए समाधान :
a) क्रेडिट समर्थन :-
i) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के लिए उच्च आवंटन द्वारा पर्याप्तसमर्थन (125 प्रतिशत से अधिक की बढत )।
ii) क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फण्ड फॉर माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई)सहित एमएसएमई क्षेत्र के पक्ष में किए गए विभिन्न पहल, क्रेडिट आकार को 200,000 करोड़ रूपए तक विस्तारित करते हैं।
iii) स्थिरता पर ध्यान :-द्वितीयक कृषि और जैव-अर्थव्यवस्था की परिणामीवृद्धि, रोजगार और आय सृजित करने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल विकासात्मकदृष्टिकोण को प्रोत्साहित करेगी।
b) कृषि क्षेत्र को कार्बनमुक्त करना :-
i) ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्यवाही के मध्य संतुलन स्थापित करते हुए सौरऊर्जा, चक्रीय अर्थव्यवस्था, कार्बन तटस्थ अर्थव्यवस्था, कृषि वानिकी और निजीवानिकी को बढ़ावा देने के प्रयास किये गये हैं।
ii) ताप विद्युत केन्द्रों (थर्मल पावर प्लांटों) में यदि लक्ष्य के अनुरूप 5-7 प्रतिशत बायोमास जलाया जाता है तो कार्बन डाई-ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी केसाथ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और किसानों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर सृजितहोंगे।
c) नदियों को जोड़ना :-
i) केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के साथही पांच अन्य नदी जोड़ो परियोजनाओं के वित्तपोषण की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है।
ii) जब भी इन योजनाओं पर विभिन्न राज्यों की आम सहमति बन जाएगी तो सूखाग्रस्त क्षेत्रोंको योजना का लाभ मिलेगा।
iii) यह जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत चलाये जा रहे एआईबीपी(त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी))के तहत देश में उपयोग योग्य जल के संचयन के उद्देश्य को बल देगा।
a) क्रेडिट समर्थन :-
i) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के लिए उच्च आवंटन द्वारा पर्याप्तसमर्थन (125 प्रतिशत से अधिक की बढत )।
ii) क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फण्ड फॉर माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई)सहित एमएसएमई क्षेत्र के पक्ष में किए गए विभिन्न पहल, क्रेडिट आकार को 200,000 करोड़ रूपए तक विस्तारित करते हैं।
iii) स्थिरता पर ध्यान :-द्वितीयक कृषि और जैव-अर्थव्यवस्था की परिणामीवृद्धि, रोजगार और आय सृजित करने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल विकासात्मकदृष्टिकोण को प्रोत्साहित करेगी।
b) कृषि क्षेत्र को कार्बनमुक्त करना :-
i) ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्यवाही के मध्य संतुलन स्थापित करते हुए सौरऊर्जा, चक्रीय अर्थव्यवस्था, कार्बन तटस्थ अर्थव्यवस्था, कृषि वानिकी और निजीवानिकी को बढ़ावा देने के प्रयास किये गये हैं।
ii) ताप विद्युत केन्द्रों (थर्मल पावर प्लांटों) में यदि लक्ष्य के अनुरूप 5-7 प्रतिशत बायोमास जलाया जाता है तो कार्बन डाई-ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी केसाथ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और किसानों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर सृजितहोंगे।
c) नदियों को जोड़ना :-
i) केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के साथही पांच अन्य नदी जोड़ो परियोजनाओं के वित्तपोषण की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है।
ii) जब भी इन योजनाओं पर विभिन्न राज्यों की आम सहमति बन जाएगी तो सूखाग्रस्त क्षेत्रोंको योजना का लाभ मिलेगा।
iii) यह जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत चलाये जा रहे एआईबीपी(त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी))के तहत देश में उपयोग योग्य जल के संचयन के उद्देश्य को बल देगा।
निष्कर्ष :-
a) सरकार का ध्यान विभिन्न मंत्रालयों की नीतियों और कार्यक्रमों को समेट करबजटीय और गैर-बजटीय वित्तीय स्रोतों के एकत्रीकरण करके उच्च पूंजी निवेश करनेपर है. उदाहरण के लिए, रेलवे का इरादा लघु कृषि उत्पादों के लिए बुनियादी ढांचाविकसित करना है।
b) यह एक सामंजस्यपूर्ण अंतर-मंत्रालयी दृष्टिकोण है जो पूंजी उपयोग दक्षता कोबढ़ाएगा, जिससे कृषि विकास दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की अपेक्षा है।
c) बजट के माध्यम से सरकार का दृष्टिकोण कृषि क्षेत्र को रोजगार सृजन, आय सृजनऔर संधारणीय उद्यम प्रणाली के रूप में परिवर्तित करने के साथ ही खाद्य और पोषणसुरक्षा सुनिश्चित करने का हैI खोजशब्द :– संधारणीय कृषि, आत्मनिर्भर से अमृत काल, फसल विविधीकरण, जलवायु स्मार्ट कृषि, सह-निवेश मॉडल, नाबार्ड, चक्रीय अर्थव्यवस्था, कार्बन तटस्थ अर्थव्यवस्था, एआईबीपी कार्यक्रम।
a) सरकार का ध्यान विभिन्न मंत्रालयों की नीतियों और कार्यक्रमों को समेट करबजटीय और गैर-बजटीय वित्तीय स्रोतों के एकत्रीकरण करके उच्च पूंजी निवेश करनेपर है. उदाहरण के लिए, रेलवे का इरादा लघु कृषि उत्पादों के लिए बुनियादी ढांचाविकसित करना है।
b) यह एक सामंजस्यपूर्ण अंतर-मंत्रालयी दृष्टिकोण है जो पूंजी उपयोग दक्षता कोबढ़ाएगा, जिससे कृषि विकास दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की अपेक्षा है।
c) बजट के माध्यम से सरकार का दृष्टिकोण कृषि क्षेत्र को रोजगार सृजन, आय सृजनऔर संधारणीय उद्यम प्रणाली के रूप में परिवर्तित करने के साथ ही खाद्य और पोषणसुरक्षा सुनिश्चित करने का हैI खोजशब्द :– संधारणीय कृषि, आत्मनिर्भर से अमृत काल, फसल विविधीकरण, जलवायु स्मार्ट कृषि, सह-निवेश मॉडल, नाबार्ड, चक्रीय अर्थव्यवस्था, कार्बन तटस्थ अर्थव्यवस्था, एआईबीपी कार्यक्रम।