उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए औषधीय दवाओं, ऑटो कम्पोनेंट्स और ऑटोमोबाइल सहित दस प्रमुख क्षेत्रों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को मंज़ूरी दी है। इस योजना से व्हाइट गुड्स, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ने की संभावनाएँ है। यह उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना रोज़गार सृजन में भी मदद करेगी। यह योजना भारत में निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी एवं निवेश को आकर्षित करेगी, जिसके परिणामस्वरूप भारत का निर्यात बढ़ेगा एवं अधिक रोज़गार सृजन के साथ आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगा।
योजना के बारे में:- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत उत्पादन इकाइयों को उनके सकल उत्पादन पर 5 प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि देय होगी, किंतु यह राशि तभी देय होगी जब उत्पादन में प्रतिवर्ष या लगातार वृद्धि हो रही हो।
कार्यान्वयन:-
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा लागू की जाएगी और यह निर्धारित समग्र वित्तीय सीमाओं के दायरे में होगी। विभिन्न क्षेत्रों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के अंतिम प्रस्तावों का मूल्यांकन व्यय वित्त समिति द्वारा किया जाएगा और इसे मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया जाएगा।
किसी अनुमोदित क्षेत्र की एक उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से प्राप्त वित्त का प्रयोग न होने पर इसका उपयोग उपरोक्त दस चुने गए क्षेत्रों के वित्तपोषण में किया जा सकेगा। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के लिये किसी भी नए क्षेत्र को मंत्रिमंडल की नए सिरे से मंज़ूरी लेने की आवश्यकता होगी।
महत्त्व:
उपरोक्त चुनिंदा क्षेत्रों में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
महत्त्वपूर्ण प्रतिस्पर्द्धी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करेगी। इसके अलावा बड़े पैमाने पर निर्यात के बढ़ने की संभावना है।
भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है। इसके अतिरिक्त, भारत में डेटा स्थानीयकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, स्मार्ट सिटी और डिज़िटल इंडिया जैसी परियोजनाओं के लिये सरकार की ओर से होने वाले प्रयास से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से भी भारत में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
ऑटोमोबाइल्स उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना भारतीय ऑटोमोबाइल्स उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी तथा भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र के वैश्वीकरण को बढ़ावा देगा।
भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग परिमाण की दृष्टि से विश्व में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य की दृष्टि से 14वाँ सबसे बड़ा उद्योग है। यह वैश्विक स्तर पर निर्यात की जाने वाली कुल ड्रग्स और दवाओं में 3.5 प्रतिशत का योगदान करता है। भारत में फार्मास्यूटिकल्स के विकास और विनिर्माण के लिये एक विकसित तंत्र उपलब्ध है और संबद्ध उद्योगों का एक मज़बूत इकोसिस्टम भी है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना इस क्षेत्र में वैश्विक और घरेलू हितधारकों को उच्च मूल्य उत्पादन में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
दूरसंचार उपकरण एक सुरक्षित दूरसंचार अवसंरचना के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक तत्त्व है तथा भारत दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पादों का एक प्रमुख मूल उपकरण निर्माता बनने की आकांक्षा रखता है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से वैश्विक भागीदारों से बड़े निवेश आकर्षित होने और घरेलू कंपनियों को उभरते अवसरों का फायदा उठाने तथा निर्यात बाज़ार में बड़े व्यापारी बनने में मदद मिलने की उम्मीद है।
भारतीय वस्त्र उद्योग दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में एक है और वस्त्र तथा परिधान के वैश्विक निर्यात के 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। परंतु मानव निर्मित फाइबर उद्योग क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी वैश्विक खपत प्रतिमान, जो इस क्षेत्र में अधिक है, की तुलना में कम है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना घरेलू विनिर्माण को और बढ़ावा देने के लिये इस क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित करेगी, विशेषतौर पर मानव निर्मित फाइबर तथा तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा और बड़े पैमाने पर अपव्यय कम होगा। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के माध्यम से सहायता प्रदान करने हेतु उच्च विकास क्षमता और संभावनाओं वाली विशिष्ट उत्पाद लाइनों की पहचान की गई है।
सौर पीवी (फोटो-वोल्टाइक) पैनलों का अधिक आयात मूल्य श्रृंखला की इलेक्ट्रॉनिक प्रकृति पर विचार करते हुए आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन और रणनीतिक सुरक्षा चुनौतियों में जोखिम पैदा करता है। सौर पीवी मॉड्यूल के लिये एक केंद्रित उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना भारत में बड़े पैमाने पर सौर पीवी क्षमता का निर्माण करने के लिये घरेलू और वैश्विक भागीदारों को प्रोत्साहित करेगी और सौर पीवी विनिर्माण के लिये वैश्विक मूल्य शृंखलाओं पर कब्जा करने के लिये भारत को तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद करेगी।
व्हाइट गुड्स (एयर कंडीशनर और एलईडी) में घरेलू स्तर पर मूल्यवर्द्धन की और इन उत्पादों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने की अत्यधिक संभावना है। इस क्षेत्र के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से अधिक घरेलू विनिर्माण, नौकरियों का सृजन और निर्यात बढ़ेगा।
स्टील रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण उद्योग है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है। भारत तैयार स्टील का असल निर्यातक है और स्टील के कुछ श्रेणियों में चैंपियन बनने की क्षमता रखता है। विशिष्ट स्टील में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से मूल्यवर्द्धित स्टील के लिये विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे कुल निर्यात में वृद्धि होगी।